पहला चक्र मूलाधार

बीज मंत्र साधना



ये चक्र रीढ की हड्डी के अंतिम छोर पर स्थित है। जो प्रकृती प्रदत्त उर्जा हम साथ लेके आते है वो हमारे अंदर मूलाधारमें स्थित है। इसलिए इसको उर्जा का केंद्र भी कहा जाता है। ये प्राकृतिक शक्ति का भंडार है, इस उर्जा को कुंडलिनी शक्ती भी कहा जाता है। पिछले कर्मोंकी वजहसे मूलाधार चक्र की फ्रिक्वेन्सी असंतुलित तथा अस्वस्थ हो सकती है। उसे साधना से संतुलित और स्वस्थ किया जा सकता है। मूलाधार की उर्जा साधनासे उर्ध्वगामी होती है और बीचवाले चक्रोंसे गुजर कर सहस्त्रारपे आ के परमात्मा की शक्ति से मिलती है।

स्वस्थ मूलाधार के लिए

ज्ञान मुद्रा में बैंठें
मांसाहार छोडकर सात्विक भोजन अपनाएँ
अल्प भोजन और अल्प निद्रा (संयमित भोग) से ये चक्र संतुलित हो सकता है ।
यम, नियम का पालन करनेसे
मोटा अनाज, धरती और नारियल का दान करनेसे
ओंकार ध्यान १५ मिनीट के लिए करनेसे (ओंकार का उच्चारण पूरा जोर लगाकर लयबध्द तरीकेसे करना है। उसके बाद १५ मिनिट मौन होकर बैठना है।