अध्यात्म क्या है

अध्यात्म हमें हमारे मूल स्वभाव तक पहुँचा देता है। हमारा मूल स्वभाव हमें परमात्माने दिया है। हम अपने संकीर्ण मानसिकता के कारण उस मूल स्वभावसे दूर हट गये है।

अध्यात्मका अर्थ फिर ये होता है की हमारी मानसिक अवस्था को पहचानना। खुदको जानना, परमात्मा को जानना ही अध्यात्म का प्रयोजन है। अध्यात्म वो मार्ग है जहाँ हम अपनी मानसिक बिमारीयोंको समझते है और उनका विष्लेषण करके उन्हें निकालते हैं और निर्मल हो जाते है। तो धर्म साध्य करनेका मार्ग अध्यात्म है । अध्यात्ममें हमें कोई विशेष नहीं बनना है बल्कि हर एक के साथ हमारी बननी है, जो जैसा है वैसा ही उसे स्विकार करना यही सच्ची अध्यात्मिकता है|

अध्यात्म वाला जीवन नीरस या उपेक्षा वाला कभी नहीं होता बल्कि अध्यात्म के मार्गपर चलनेवाला ही जीवन सही रूपसे जीवन है। योगी ही महाभोगी होते है, वे बिना किसी कारण का आनंद, हर क्षण अनुभव करते हैं, उनके जीवनसे दु:ख हमेशा के लिये बाहर हो जाता है।

बहुत से लोगोंको ये भी लगता है की ये अध्यात्म, धर्म, सत्संग वगैरा व्यर्थ की बातें है, ये बडे बूढोंका काम है परंतू ऐसा बिलकुल नहीं है। जैसे पौष्टिक भोजन, शुध्द पाणी, स्वच्छ वातावरण सभीके लिए आवश्यक है उतनाही अध्यात्म भी सभीके लिए जरूरी है। अध्यात्मकी पहुँच इतनी बडी है की वो जीवनकी भौतिक सफलता भी दे सकता है और आल्हाद के साथ शांती और पूर्णता भी देता है जब हम इन बातोंको सही रूपमें जानते है और उपयोगमें लाते है। अध्यात्म का अर्थ है आपकी चेतना का विकास, आपके हर चीज का विकास, तो अध्यात्म के रास्तेपर चलते जीवन एक संगीत, उत्सव हो जाता है, क्यूं की मनुष्य का पूरा विकास होना ही अध्यात्म का रास्ता है और ये प्रेम से प्रेम तक जाता है।