सुशक्ती चक्र साधना कैसे करें
सुशक्ती चक्रसाधना करने में बहुत सरल है, मुश्किल बिलकुल नहीं है।
१
एक शांत कमरेमें उपयुक्त जगह देखकर एक स्वच्छ आसन बिछा लिजिए और रीड की हड्डी सीधी रखकर सुखासन में बैठ जाइये। आप कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
२
अब अपनी आँखे बंद करें, अपने गुरू व पूरे अस्तित्व को पूरे भाव के साथ धन्यवाद दें।
३
तत्पश्चात थोडी देर तक लंबी गहरी स्वाँस लें अथवा अपने श्वास पर ध्यान दें।
४
फिर एक बार लंबा गहरा स्वाँस लें, भीतर ही स्वाँस को रोक रखें, फिर अपने पूरे शरीर को अकडा लें, अपने दाँत भीच लें, हाथोंकी मुठ्ठीयाँ बनाकर भींच लें, पैर के पंजे अकड जाँए, मतलब पूरा शरीर का रोंआ रोंआ अकड जाये, और मनमें एक से दस तक की गिनती गिने, जैसे जैसे गिनती आगे बढती हैं, वैसै वैसे शरीर की अकडन भी बढती जायें। उसके बाद जैसे ही आप दस तक पहुंचते है, पूरे शरीर को एकदम ढीला छोड दें, और साथ ही स्वाँस को बाहर निकालकर सामान्य (relax) हो जाए। इस प्रकार दस बार ऐसा करें। हर बार शरीर को जादा से जादा अकडा लें जिससे शरीरमें सोयी हुई उर्जा जाग जाये। जितना आप शरीर को अकडाने में उर्जा लगाएंगे उतने ही अच्छे परिणाम साधना में आपको मिलनेवाले है।
५
आँखे बंद रखें, और दोनों हाथ एकसाथ मूलाधार चक्र के सामने रखें, नीचे बायाँ (left) उपर दायाँ (right), एक दूसरे के उपर हथेलियाँ हो (चित्र देखें) अब तीन बार ओम की ध्वनी करें। अगर आप ओम की ध्वनी सही नहीं कर पा रहें हैं तो केवल नाक से गुंजन कर सकते हैं। दी हुई ऑडीओ से आवाज मिला सकते है। इसी प्रकार क्रमश: स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुध्दी आज्ञा चक्र से लेकर सहस्त्रार तक हर एक चक्र पर तीन तीन बार होथों को प्रत्येक चक्र की सीध में हथेलियोँ के बीचों बीच लेकर ओंकार की ध्वनी अपने मुख से या नाक से पूरा जोर लगाकर करनी है।
६
इसके बाद सहस्त्रार पर रूक जाये, अब जो उर्जा आप नीचे से उपर लेके गये हैं उसमेंसे आप भाव करें की मेरे शरीर और मन की सारी नकारात्मक उर्जा बाहर निकल रहीं है, इस क्रिया को तीन बार करें, नकारात्मक उर्जा को बाहर निकालते समय कुछ बोलना नहीं है, न ही गुंजन करना है
७
इसके बाद सकारात्मक उर्जा का आवाहन करें। ये भाव करें की अस्तित्व की सकारात्मक उर्जा मेरे शरीर में प्रवेश कर रहीं है, इस उर्जा को अपने हाथों द्वारा लोते हुए, तीन बार ओंकार की ध्वनी मुख सें अथवा नाक से भ्रमर गुंजार निकालनी है।
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फिर सहस्त्रार पर ३ बार ओंकार की ध्वनी करें।
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फिर जैसे हम उपर की ओर गये थे उसी प्रकार अब नीचे की ओर आना है क्रमश: आज्ञाचक्र, विशुध्दी चक्र, अनाहत चक्र, मणीपूर चक्र, स्वाधिश्ठान व मूलाधार तक, ओंकार की ध्वनी के साथ। ये एक वर्तुल हुआ। ऐसे तीन वर्तुल से एक सुशक्ती चक्रसाधना पूरी होती है।
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साधना के बाद कम से कम दस मिनीट तक आप शांत बैठें रहें। चित्र, ऑडीओ और व्हिडीओ दिए हुए हैं। कोई प्रश्न है जो अवश्य पूछ लें।
सुशक्ती चक्रसाधना
मूलाधार
प्रथम व सोलहवी (अंतिम) स्थिती
स्वाधिष्ठान
दुसरी व पंद्रहवीं स्थिती
मणीपूर
तिसरी व चौदहवीं स्थिती
अनाहत
चोथी व तेरहवीं स्थिती
विशुध्दी
पाचवी व बारहवीं स्थिती
आज्ञा
छठी व ग्यारहवीं स्थिती
सहस्त्रार
सातवीं व दसवीं स्थिती
नकारात्मक ऊर्जा को बाहर फेंकना
आठवीं स्थिती
सकारात्मक ऊर्जा का आवाहन
नवमीं स्थिती