साधना पथ

साधक साधनामें कैसे आगे बढता रहें, उपर उठता रहें इसकी कोई बातें आती है शास्त्रोंमें | तुलना की गयी है पशुओंसे – श्वान निद्रा, बको ध्यानं, काग चेष्टा, कहा गया है साधक के लिए| और उसके साथ स्वल्प आहारी, सतत साधना (न कहीं बंधना, न कहीं रूकना), और श्रध्दा जोड देते है तो थोडे ही समयमें अच्छे रिझल्ट आते हैं|

सतत साधना (न कहीं बंधना, न कहीं रूकना)

नींद कुत्ते जैसी बतायी है, जैसे कुत्ता जरासी आहटपे जाग जाता है, सतर्क रहता है. बको ध्यानं – बगुले जैसा साधक का ध्यान होना चाहीये 24 घंटे अपने लक्ष्य के प्रति होशपूर्ण,. काग चेष्टा – कौवा सतत कुछ करता रहता है और वो बडा समझदार भी होता है| इसलिए काग चेष्टा बताया है| श्वान निद्रा के लिए अल्प आहारी होना जरूरी होता है| श्रध्दा इस बातकी की मैं सही चल रहा हूँ, मेरा गुरू, मेरा मार्गदर्शक सही है वो मुझे कहीं रूकने नहीं देगा इस बातकी श्रध्दा आपके मनमें हो, और इस श्रध्दा के साथ साथ आपकी साधना भी हो, की जो आपको बताया गया है उसे पूर्ण रूपसे करें। ये चीजें आप अपनी जीवनमें अच्छी तरहसे ले आयेंगे, तो आपके जीवनमें मुमकीन है की बहुत थोडे दिनोंमें बहुत अच्छे रिझल्ट दिखाई दें| अपने शरीर का ध्यान रखें, अपने कर्मोंका ध्यान रखें, सुशक्ती चक्रसाधना करें, दूसरे ध्यान विधी भी है वो भी करें|