साधना का अर्थ

साधना का अर्थ है अभ्यास| साधनासे हम साध्य तक पहुँचते है| साध्य होता है हमेशाका समाधान| ये समाधान कभी हिलता नहीं| साधना के ढंग और तरीके अलग हो सकते है परंतू सारी साधना खुदके मन के लिए ही होती है|

मनुष्य जीवन का साध्य एक ही है – खुद को जानना या परमात्माको जानना|

साधना करके मनुष्य अपनी शुध्दतम अवस्था को प्राप्त कर लेता है जहाँ कोई पीडा या परेशानी नहीं होती| सारा द्वैत मिट जाता है और वह स्वयं से जुड जाता है, उस अवस्था को योग कहते हैं, सारी साधना खुद के मन की शुध्दी के लिए है| साधनासे चित्त की सारी वृत्तीयाँ समाप्त हो सकती है. साधना समझ के साथ करनी चाहीए तभी उसका मूल्य है| मेरी समझ क्या है, साधना करते वक्त मैंने क्या करना है, मेरा उद्देश्य क्या है ये मालूम होना चाहीए| जो गुरू बताते है उसे पूर्ण रूपसे करना है। मनुष्य बेहोशीमें जीता है, जितना वह सोया सोया जीता है उतना ही उसका चित्त कामनाओं वासनाओंमें लिप्त रहता है| ये बेहोशी जब होशमें बदल जाती है तब वो अपनी संपूर्ण आभामंडल के साथ प्रगट होता है|