उत्तेजना
उत्तेजना हमें सत्य तक नहीं पहुँचने देती| हम पूरा जीवन उत्तेजना (excitement) में जीना चाहते है| दुनिया को कुछ दिखाना चाहते है, कुछ अलग होना चाहते है
रूप, विचार, भाव ये झुनझुने है, संसार की हर चीज झुनझुना है| मन प्रकृति का एजंट है, वो हमें संसारमें ढकेलना चाहता है| ये उत्तेजना मन की लहरें है और जीवन समुद्र है, लहरें जीवन नहीं है, सागर बहुत गहरा है वो सिर्फ लहरोंमें कैसे हो सकता है? हम उपर उपर जीते है और गहरे मोती होते है| उत्तेजना के कारण हमारे सभी चक्र असंतुलित है| किसीभी एक या एकसे अधिक चक्रोंपर उर्जा का आवश्यकता से अधिक मात्रामें खर्च होना उत्तेजना है| सुख भी उत्तेजना है, जितना उत्तेजित व्यक्ति होगा, उतना ही दु:खी होगा, पूरी सृष्टीमें सबसे अस्वस्थ जीव मनुष्य है, पर जितनी जादा अशांति होती है उतनी ही जादा संभावना होती है शांति पाने की| शांति का हमारे जीवनमें बहुत महत्व है| अनुत्तेजित भाव में और शांतिमें उर्जा बचायी जाती है और ग्रहण भी की जाती है| शान्तिमें ही जीवन के सभी रसोंका अलौकिक आनंद प्राप्त होता है ये हमको मालूम नहीं है और हमने जाना भी नहीं है|